यह अंतहीन आकाश
धरती पर फैली
असंख्य खिडकियों में वितरित हैं
हमारे पास हमारी खिड़कियाँ हैं
खिडकियों के हिस्से में हमारा आकाश हैं
हम अपनी खिडकियों के लिए लड़ते हैं
हम लड़ते हैं खिडकियों के हिस्से आये आकाश के लिए
हम छोटे से छोटे सुराख़ के लिए भी लड़ेंगे
बेशक,
हम अपूर्ण के लिए लड़ते हैं
पर हमारा "लड़ना"
आकाश की तरह अंतहीन हैं
-अहर्निशसागर-
yeh khubsurat ehsas hi toh humein jinda rakhtein hai....beautifully expressed!
ReplyDeleteBahut umda !!...very true !!
ReplyDeletebeautiful.................
ReplyDeleteanu
एक सामान्य सी घटना.. और एक असामान्य दृष्टिकोण.. बधाई !!
ReplyDeleteअच्छी है
ReplyDeleteBahut hi khoobsoorat rachna...
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