देखो
यही से मेरे पिता की
अर्थी उठी थी
इसी आँगन में
मेरी बेटियों ने
अपने बदन पर उबटन मला था
इस कोलतार के नीचे
महज ज़मीन नही
मेरे बच्चों के खेलने के मैदान हैं
मेरे पुरखों की देह गंध हैं
इस मिट्टी में
हमें यहा से मत हटाओ
यह सड़क बनने से पहले
हम फुटपाथ पर नही थे
-अहर्निशसागर -
यही से मेरे पिता की
अर्थी उठी थी
इसी आँगन में
मेरी बेटियों ने
अपने बदन पर उबटन मला था
इस कोलतार के नीचे
महज ज़मीन नही
मेरे बच्चों के खेलने के मैदान हैं
मेरे पुरखों की देह गंध हैं
इस मिट्टी में
हमें यहा से मत हटाओ
यह सड़क बनने से पहले
हम फुटपाथ पर नही थे
-अहर्निशसागर -
हमें यहा से मत हटाओ
ReplyDeleteयह सड़क बनने से पहले
हम फुटपाथ पर नही थे
हमारे जीवन में हर नयी चीज़ पुराने कि समृति ओड़ लेती है...इसको मैं देख रही हूँ कई और चश्मों से भी