पहले जवान लड़े
और सरहद के दोनों तरफ
बसी बस्तियों में
लहूलुहान लाशें पहुचने लगी
अपने जवान बेटों को कन्धा देते देते
बूढ़ों ने भुला दिया घुटने का दर्द
सरहद पर अब ढाल उठाये
बुड्ढ़े लड़ रहे थे
जब बुड्ढ़े भी मर खप चुके
औरतों ने अपने केश खोले
सिने का दुप्पटा कमर पर कसा
स्तनों पर लोहे के कवच चढ़ाये
बच्चों को पीठ के पीछे बाँधा
और ये जानते हुए की
वे घर कभी नहीं लौटेगी
घर के किवाड़ खुले छोड़ सरहद की तरफ चल पड़ी
सरहद के दोनो तरफ
अब बस्तियां वीरान हो चुकी थी
और लड़ने के लिए
सिर्फ
उन रियासतों के राजा बचे थे
उन्होंने एक बंद कमरे में
शांति के संधि-पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए
-अहर्निशसागर-
और सरहद के दोनों तरफ
बसी बस्तियों में
लहूलुहान लाशें पहुचने लगी
अपने जवान बेटों को कन्धा देते देते
बूढ़ों ने भुला दिया घुटने का दर्द
सरहद पर अब ढाल उठाये
बुड्ढ़े लड़ रहे थे
जब बुड्ढ़े भी मर खप चुके
औरतों ने अपने केश खोले
सिने का दुप्पटा कमर पर कसा
स्तनों पर लोहे के कवच चढ़ाये
बच्चों को पीठ के पीछे बाँधा
और ये जानते हुए की
वे घर कभी नहीं लौटेगी
घर के किवाड़ खुले छोड़ सरहद की तरफ चल पड़ी
सरहद के दोनो तरफ
अब बस्तियां वीरान हो चुकी थी
और लड़ने के लिए
सिर्फ
उन रियासतों के राजा बचे थे
उन्होंने एक बंद कमरे में
शांति के संधि-पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए
-अहर्निशसागर-
दूसरी बार पढ़ी, वैसे कि वैसे सुंदर
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