वह एक गर्म जेठ की दुपहर थी
अहाते में एक चिड़ियाँ बार-बार
पानी से भरे टब में कभी अपना सिर डुबाती
कभी पंख कभी पूछ और शरीर को झटक देती
तभी घर में मेरे जन्म के उल्लास का शोर हुआ
वह चिड़ियाँ चौंक कर उड़ गई
अपने जन्म के लिए
मैं उस चिड़ियाँ से क्षमा मांगता हूँ ।
-अहर्निशसागर-
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