Monday, November 24, 2014

जन्म के लिए

वह एक गर्म जेठ की दुपहर थी
अहाते में एक चिड़ियाँ बार-बार 
पानी से भरे टब में कभी अपना सिर डुबाती
कभी पंख कभी पूछ और शरीर को झटक देती
तभी घर में मेरे जन्म के उल्लास का शोर हुआ
वह चिड़ियाँ चौंक कर उड़ गई 

अपने जन्म के लिए 
मैं उस चिड़ियाँ से क्षमा मांगता हूँ

-अहर्निशसागर-

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