अगर यह पृथ्वी बच्चों को सौंप दी जाएँ
वे अमूमन हर चीज को खिलौने में बदल देंगे
ज्वर से तपता हुआ बच्चा पिता से दवा नहीं
खिलौने मांगता हैं
पिता उसके हाथ में रंगीन कपडे की
झूठमुठ की चिड़ियाँ देते हैं
और पुचकार कर मुंह में दवा का ढक्कन उड़ेल देते हैं
तन्मयता और धन्यता से भरे हुए
साहस और डर का मिश्रण
इन्हें कभी हत्या के लिए नहीं उकसाता
एक स्त्री पृथ्वी के नीरव कोने में
जब अकेली खड़ी सुबक रही होगी
एक बच्चा उसके पैरों से लिपटा हुआ होगा
कोई युद्ध जब राष्ट्र को एकजुट कर रहा होगा
उस एकजुट होते राष्ट्र में बच्चे इस तरह बिखर जायेंगे की फिर कभी नहीं मिलेंगे
वे गुपचुप एक रंगीन कपडे की चिड़िया की आड़ में
इस तरह बड़े हो रहें होंगे
जैसे लुप्त हो रहे हैं ।
-अहर्निशसागर-
परिकल्पना के माध्यम से आपके ब्लॉग पर आने का मौका मिला | बहुत बढ़िया
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