Saturday, February 23, 2013

समन्दर एक मिथक हैं











सिवाय राख के
सबकुछ जल गया हैं
राख का रंग हरा रंग हैं
देखो, धरती कितनी हरी हैं

सिवाय आसमान के
सब कुछ खुला छोड़ दिया हैं
अब मुक्त हैं हर कुछ, सिवाय पंछियों के
कितना खुश हूँ मैं अपने खोल में

मैं मछली की वो जात हूँ
जिसकी दस पीढियां एक्वेरियम में बीत चुकी हैं
मेरे लिए समन्दर एक मिथक हैं

-अहर्निशसागर-

3 comments:

  1. जिसकी दस पीढियां एक्वेरियम में बीत चुकी हैं
    मेरे लिए समन्दर एक मिथक हैं
    उफ्फ्फ ...सभी टुकड़े / वास्तविकता के धरातल से उपजे भाव ...संवेदनशील ....और अप्रत्यक्ष तंज व्यवस्था पर ..........आप बहुत अच्छा लिखते है ....अहर्निश ..../ बधाई !

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  2. ......wahh kya likhte h sab........

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  3. samander ki gahrai naap di apne.........

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