Saturday, February 23, 2013

खुशबु कैद रहें फूलों में















मधुमक्खियाँ सुरक्षित रहें छत्तों में
एक दंश का बदला पुरे कुनबे से न लिया जाएँ
आदमी मुक्त हो, लेकिन
खुशबु कैद रहें फूलों में

महामहिम खुद साफ़ करें अपने जूते

वे जो प्रेम करते हैं
और कवितायेँ लिखते हैं
उन्हें थोडा दुःख मिलें
प्रेम के शीर्ष पर जीवन उतार दें सौन्दर्य की केंचुली
प्रेमी के हिस्से का सौन्दर्य उस वैश्या को मिलें
जो जवानी में दिखने लगी हैं बूढी

उल्लू की एक आँख में मोतिया हो
हमेशा रहें चिड़िया की रगों में बिल्ली का भय
कोई धातु इतनी मजबूत ना बनें
की युद्ध में बंदूकें जाम ना हो

वे जो कीचड़ में कमलवत हैं
उन्हें ऐसे भंवर में फसाया जाएँ
की कीचड़ में गिरते-गिरते बचें

अमन के लिए इतना ही लड़ा जाएँ
की वह बद-अमनी से ज्यादा खतरनाक न लगें


-अहर्निशसागर-

समन्दर एक मिथक हैं











सिवाय राख के
सबकुछ जल गया हैं
राख का रंग हरा रंग हैं
देखो, धरती कितनी हरी हैं

सिवाय आसमान के
सब कुछ खुला छोड़ दिया हैं
अब मुक्त हैं हर कुछ, सिवाय पंछियों के
कितना खुश हूँ मैं अपने खोल में

मैं मछली की वो जात हूँ
जिसकी दस पीढियां एक्वेरियम में बीत चुकी हैं
मेरे लिए समन्दर एक मिथक हैं

-अहर्निशसागर-

तुम जो रुक सको कुछ देर और दुनियां में














हवा दौड़ती हैं हरकारे लगाती गलियों में
बंदरगाहों से छुटते हैं जहाज देशावरों के लिए
पूंछ पटकती गिलहरियाँ टहनियों को मरोड़ देती हैं
कुछ भी नहीं थिर, बदलता हैं सब कुछ

युगान्तरों बाद टूट जाते हैं भाषाओँ के किनारे
प्रेम का अर्थ भी लेता हैं करवट
तुम जो रुक सको कुछ देर और दुनियां में
नदियों में उग आयेगा पानी
पानी की डाल पर झूलेगी मछलियाँ
एक औरत जन्म देगी अपने पिता को
मृत्यु से शुरू होगा जीवन
प्रेम करने से पहले हम धोखा देंगे एक दुसरे को
प्रेम नहीं गढ़ेगा सौन्दर्य के प्रतिबिम्ब
धरती का सबसे सुन्दर राजकुमार
पड़ा मिलेगा अपने साम्राज्य के पश्चिमी परकोटे पर
उस स्त्री के इन्तजार में जिसका चेहरा
मिट्टी से सना हैं और धुप में जला हैं

तुझे छुने के लिए मैं कुदूंगा बावड़ी में
और पानी ऊपर उठ डुबो देगा उस सीढ़ी को
जिस पर रखे हैं तुमने अपने पाँव

हमारे हाथ हवा के हाथ होंगे
हमारी आँखे पानी की आंखे होगी
तुम जो रुक सको कुछ देर और दुनियां में
मुझे स्वीकार करोगी मेरी भूलों के साथ
प्रेम करना इतना आसन होगा
की हम भूल जायेंगे ईश्वर को

-अहर्निशसागर-