भविष्य लौटता हैं मेरी तरफ
रण भूमि से लंगड़ाते हुए उस घोड़े की तरह
जिसकी पीठ पर सेनापति की लाश हैं
वृतमान के कौनसे वार नें घोड़े को घायल किया ?
अतीत की कौनसी गलती से सेनापति मारा गया ?
मैं नहीं जानता
कायर राजा की तरह
बार-बार शराब गटकता हूँ
और झरोखे से झांकता हूँ
सोचता हूँ
भविष्य चाहे एक हो लेकिन
मेरे पास घायल होने के लिये असंख्य घोड़े हो
मारे जाने के लिए असंख्य सेनापति ।
-अहर्निशसागर -
भिवष्य के मद मे चूर अतीत ओर वॄतमान को याद नही रखना चाहता...
ReplyDeleteघायल हौने के िलए असख घोङे हौ और मारे जाने के िळए सेनापिल..
कायरता चरम परहै। बहुत खूब अहॄिनश