समंदर तट पर रहने वाली लड़की !
समंदर कितना अकेला होता हैं अपने भीतर
उतना ही अकेला , जितना बसंत उदास होता हैं
बसंत के मौसम में
समंदर तट पर बैठी हो तुम
तट की रेत राख हो चुकी हैं
घुटनों तक राख में डूबे
हवस के दैत्याकार हाथी तुम्हारी तरफ बढ़ते हैं
महावत की उम्र कितनी छोटी होती हैं हाथी से
अनंत में डूबा तुम्हरा महावत
राख के भीतर से हँसता हैं
इस शोक पूर्ण हंसी के साथ
तुम अपनी प्रतीक्षा का फंदा क्षितिज के गले में फंसा दो
समंदर तट पर रहने वाली लड़की !
समंदर के अकेलेपन में तुमने अपना विछोह घोला
और समंदर ने तुझे
नमक की तरह ख़ूबसूरत बना दिया
सौंदर्य के इस शीर्ष पर
अब मैं सिर्फ "लड़की" संबोधित करता हूँ तुझे
वही अनाम लड़की जिसकी कहानी
तमाम कहानिओं की शुरुआत से पहले समाप्त हो चुकी थी
दोस्तोयेव्स्की जिसका जिक्र
अपने उपन्यासों के अंत तक नहीं कर पाया
एक अनाम लड़की के नाम ख़त लिखकर
कथाओं के पात्र आत्महत्या करते हैं
एक दुखांत अंत के बाद शुरू होती हैं तुम्हारी जिन्दगी
कितना मुश्किल हैं
सिर्फ एक "लड़की" होना
नमक की तरह ख़ूबसूरत होना
-अहर्निशसागर-
कितना मुश्किल हैं
ReplyDeleteसिर्फ एक "लड़की" होना
नमक की तरह ख़ूबसूरत होना
bahot sunder misaal......