Wednesday, August 1, 2012

एक सदी का इतिहास















पिता के जन्म से लेकर
मेरे बुढ़ापे तक
मेरे पास एक सदी का इतिहास है
मैं आपको इसका संक्षिप्त ब्यौरा दूंगा

मेरे पिता के बचपन में भी
बरसाती पतंगे मर जाया करते थे
सरसों के दीये में गिरकर
लालटेन के गर्म शीशे से चिपक कर

मेरे बुढ़ापे में भी
बरसाती पतंगे मर रहे हैं
स्टेडियम की विशाल होलोजन बत्तियों तले
महानगरों की स्ट्रीट लाइट्स तले लाशों के ढेर पड़े हैं

विगत सालो मे रौशनी बहुत तेज़ हो गयी हैं
और बेहद बढ़ गई हैं
पतंगों के मरने की तादाद

-अहर्निशसागर-

3 comments:

  1. उफ्फ्फ्फ्फ़ ....पतंगों और बरसातों .....रौशनी और जलने /मरने की तादाद .....//खूबसूरत ....विचारणीय ..../ पतंगों के माध्यम से ....स्थितियों का कड़वा बखान ..../

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  2. ...बरसात ....पतंगे ....रौशनी ....और फिर ना गिने जाने वाले पंख ....तादाद में मरते ....../ पतंगों के माध्यम से ...स्थितियों का बखूबी बयाँ ........./

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